गौरतलब है कि 11 मई को जारी ऐतिहासिक आदेश में न्यायालय ने इस विवादास्पद कानून पर उस समय तक के लिए रोक लगा दी, जब तक कि केंद्र सरकार औपनिवेशक काल के इस कानून की समीक्षा पूरा नहीं लेती।

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