आज जब तमिलनाडु में उत्तर भारतीय मजदूरों के पिटाई की अफवाह चारों तरफ फैली है, तब यह घटना याद दिलाती है कि कैसे तमिलनाडु हिन्दी भाषी मजदूरों का सम्मान करने में दो दशक पहले एक मील का पत्थर गाड़ चुका था।

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