बुखारी के मुताबिक, आजाद ने भले ही 2019 में संसद में अनुच्छेद 370 के बचाव में बात की हो और भाषण दिया हो, लेकिन उन्होंने इसके कमजोर पड़ने के पक्ष में मतदान किया था।
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