ऑनलाइन लेनदेन को प्राथमिकता देने के कारण बैंकों ने धीरे-धीरे क्लर्क भर्ती में कटौती की है। 90 के दशक की शुरुआत में भारत की बैंकिंग प्रणाली में लिपिकीय नौकरियों की हिस्सेदारी 50% से अधिक थी।
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