विपक्ष ने अपने सिद्धांतों से समझौता करके भाजपा का रास्ता रोकने की तैयारी की थी। महराष्ट्र इस दिशा में सबसे बड़ा उदाहरण बनकर उभरा था। यहां पर कांग्रेस और एनसीपी ने चिर-विरोधी शिवसेना से हाथ मिलाया था।

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